इससे भी पहले सवाल, ब्लॉग आख़िर है क्या ?
तकनीकी जटिलताओं से अलग, ऐसा समझें कि इन्टरनेट, यानी त्वरित और व्यापक विचार आदान-प्रदान के लिये लोकप्रिय और प्रभावी माध्यम, का एक कोना हमने घेर लिया है, जहाँ नियमित रूप से मैं, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रहूँगा, ऐसा प्रयास है।
भगवान् बुद्ध का उपदेश है, अप्प दीपो भव ! मैं वही दीपक जलाने के प्रयास में लगा हूँ, यह दीपक जलेगा और इसी कोने को रोशन करेगा, और कोई भी अपने दिये को जलाने में, यहाँ का उपयोग करना चाहेगा, स्वागत ही पायेगा ।
विशेषकर बढ़ती उमर में, बहुधा लोग अनुभव करते हैं कि उनके छोटे, अक्सर वो जो उन्हें ज्यादा प्रिय हैं, उनकी नज़र से कितना ही गलत किये जा रहे हैं, उनकी बात मानना तो दूर, सुनने को भी राजी नहीं, इस सोच में, उन्हें यह ध्यान भी नहीं रहता कि बदलते वक़्त और परिस्थितियों के कारण, उनके विचारों की उपयोगिता और प्रासंगिकता कम ही होती जाती है, और यह भी, कि एक का सही, दूसरे के लिये भी उतना ही सही हो, एक असंभव कामना है।
सोच का आयु और स्थिति के साथ भी विचित्र संबंध होता है, कहते हैं कि बाप की बात, बेटे की समझ में तब आती है, जब उसका अपना बेटा उसे गलत कहने लायक बड़ा हो जाता है 😜
मदद और हस्तक्षेप में उतना ही अन्तर होता है जितना अभिमान और स्वाभिमान में । बड़े बुजुर्ग भी मन की बातें दबायें तो कहाँ तक, अफारा सा होने लगता है, और यहाँ ब्लॉग मददगार हो सकता है।
तो साहब, जो मन हो, जितना मन हो, यहाँ तिरस्कार की कोई संभावना ही नहीं, लिखिए और जमा कर रखिये । जिसकी श्रद्धा हो, भरोसा हो, आज हो या बाद हो, हो भी या ना हो, सोच और विचार यहीं इन्तजार करते मिलेंगे ।
बस एक बात, यहाँ चर्चा पर कोई रोक टोक नहीं, केवल इतना कि मंच सार्वजनिक है, व्यक्तिगत बातें यहाँ उपयुक्त नहीं ।
शेष, फिर कभी 🙏
7 comments:
eagerly awaiting your next heart pouring,
rajiv agrawal
वाह RPS, बहुत ख़ूब..... हाँ भगवान बुद्ध की वाणी को अपने अंदर उतारना ही प्रज्ञा है.....
अति सुन्दर ।
Heart touching story..!
Bhai sahab shabdon se achcha Khel khelne Lage Hain aap
तमसो मा ज्योतिर्गमय
Heart touching.your creativity is unparalleled.Pl keep it up.
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