अगरचे, जोतने खेत ही हों, या तो, मन, खेत-खलिहान में ही, लगता हो, तो, खरीदना, ट्रैक्टर ही चाहिए, फ़रारी नहीं ☝️
फ़रारी को चाही, सपाट सड़क, 93 ओ पैट्रोल, सजग, संवेदनशील, कद्रदान। वैसे सैर-सपाटा ठीक, खेत तो, उससे, फिर भी जुतने से रहे। छोड़ो, फ़रारी को उसकी किस्मत पर, मगर खेत भी, एक ना एक दिन, बंजर होना तय।
खुद कमा के, खरीदा हो, तो ऐसी चूक, कम होती है, माँ-बाप, लाड़-प्यार में, यह विवेकहीन अन्धेर, कर डालते हैं 🤔
महा-प्रलय ही समझो, अवशेष शून्य 🤗
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