आइसक्रीम बहुत पसन्द है, आपको, समझो, जान छिड़कते हो। सब जानते हैं, और उन्होंने, जो आपको प्यार बहुत करते हैं, आप को ढेर आइसक्रीम भेजी हैं, तरह तरह के फ्लेवर, स्टाइल्स और ब्रान्ड्स, सब एक से बढ़कर एक, मगर आपकी भी क्षमता है, कम, या ज्यादा, मगर है तो, निस्संदेह। और समय सीमा भी है, फ्रिज में भी कितना स्टोर कर पाओगे, ऊपर से बिजली का भी, कित्ता भरोसा ?
तो दिखने में, जो अधिक आकर्षक होंगी, चखोगे और जो ज्यादा पसन्द आयेगी, थोड़ी ज्यादा ले लोगे, कम पसन्द, थोड़ा कम। कुछ देर में ही, पेट भी भर जायेगा, और मन भी, वितृष्णा सी होने लगेगी। देखने का भी मन नहीं होगा। स्टोर, आप कर नहीं सकते, या तो बाँट दो, या दे कर जाओ, या पिघल जाने दो, महकना शुरू हो गया तो फिर, समेटना भी, मजबूरी ही हो जायेगी।
अब सोचिए, आराम से !
इसलिए कि बात, किसी आइसक्रीम की, है ही नहीं, निहितार्थ इसके, बहुत व्यापक हैं।
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