हमारी कुक, आज दोपहर, खाना बनाकर जाते हुये फ्रिज से बर्फ निकालकर ले जा रही थी। रोजाना ही ऐसा करती है, उसका पति, नीचे सब्जी का ठेला लगाता है। ये बर्फ वह पीने के पानी में डालेगी, और दोनों साथ-साथ खाना खाते हुये, ठण्डा पानी पीने का सुख पायेंगे। यह सुख, किस भाव मिला, आपने नोट किया ?
अगर आपका मन होगा तो आप मूड बनायेंगे, तैयार होंगे, गाड़ी निकालेंगे और जायेंगे शायद, हजरतगंज, रायल कैफे, मोती महल, या फिर कोई माॅल, कोई शेक, स्मूथी या डेजर्ट, अच्छा खासा बिल, टिप ऊपर से। फिर भी उस तृप्ति तक पहुँच पाना, लगभग असम्भव। हो सकता है, जाते हुये ही आपस में बहस हो जाये कि कपड़े क्या डालें, चलें कहाँ, और करें क्या?
हाथ क्या आया, रकम कितनी साथ है के साथ-साथ, भाव पर भी डिपेन्ड करता है और खरीदारी के सलीके पर भी। कमाते होंगे आप ढेर सारा, मगर अमीर कौन ? सोच के देखिये

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