13-04-2021
"आप काटेंगे तो वही, जो आपने बोया होगा"
यह नियम कुदरत का है, और शास्वत है, कोई हेराफेरी इसमें हो सकती नहीं, आम बोया तो आम, नीम बोया तो नीम, अगर नीम को, आम समझ के बोया तो ? तो भी नीम !
बहुत बार, किसी को आप से लगाव होता है, आपके माता पिता, दोस्त या फिर जीवन साथी, या कोई भी... ये अपने हिस्से का आम, आपको देकर, नीम खुद ले लेते है, जैसे, कोई आपको खुश देखने को, झूठी तारीफ करता जाये, और आप इस भ्रम में रहे आते हैं कि आम की फसल, आप ही का बोया है।
फिर एक दिन, आपके हितैषी के पास और आम बचते नहीं, या फिर उसके शरीर की नीम लेने की क्षमता भी चुक जाती है, सीमा तो हर क्षमता की होती है, और विवशता में, आपका सामना नीम से होता है, जो वास्तव में, आप ही की बोर्ड हुई होती है।
आप क्या करें ? सच को स्वीकारें, कोई विकल्प नहीं, और अब से ही सही, नीम बोना बन्द करें, आम बोयें । थोड़ा सा धैर्य, और नीम की मौजूदा खेप के बाद, आपको निश्चित ही आम मिलने वाले हैं, यह गारन्टी कुदरत की है, कभी खाली नहीं ना जाती।

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