INSTINCT - Elections


अगले साल चुनाव होने जा रहे हैं, अपनी यू पी में।

वैसे तो आपको पता ही होगा। सोचा, अगर ध्यान न गया होगा उधर तो सोच रहे होंगे, ये हवायें एकाएक तेज क्यों चलने लग पड़ीं, मंच रोशन होने लग गये। लोग रातों-रात जागरूक और संवेदनशील कैसे हो गये। कुछ नहीं साहब, हितबद्ध लोग सक्रिय हो गये हैं।

हितबद्ध तो आप भी हैं, तो आपको भी जाग ही जाना चाहिए और अपने हिस्से का प्रतिभाग भी करना ही चाहिए। ये फर्ज है आपका। आप प्रचार प्रसार करें, किसी का विरोध, किसी का समर्थन करें, वाद-विवाद में शामिल हों, या ना हों, आप जानें, मगर उदासीन ना हों, और वोट तो अवश्य ही दें।

वोट किसे दें, जो भी आपको ठीक, या फिर सबसे कम खराब लगे। वोट अवश्य दें, और सोच समझकर दें, बस इतना ही आव्हान है मेरा, पाने वाला कोई भी हो। मैं राजनीतिक व्यक्तित्व नहीं, इसलिए मेरी पसंद नापसंद मेरा निजी मामला, ना प्रभावित होना, ना किसी को प्रभावित करने का प्रयास, हां, पसंद से वोट अवश्य !


चिरकाल से उक्ति चली आ रही है "सत्यमेव जयते", अर्थात अन्ततः जीत सत्य की ही होती है। विजेता के पक्ष में जाना, बुद्धिमानी भी है, श्रेयस्कर भी और लाभप्रद भी, मगर मुश्किल है, सत्य की पहचान। सबसे ज्यादा तरक्की, इन्सान की इसी में हुई है कि सच उपलब्ध ना हो सके तो, मुश्किल बहुत होता है ना, झूठ को ही सच बना लिया जाये। झूठ इतनी कुशलता से, कि सच को खुद अपने पर विश्वास ना हो। बहुत बार, पैकिंग जानदार हो तो, कन्टेन्टस बेमतलब हो जाते हैं।

कुछ तरकीबें हैं। हितबद्ध को सच, प्रायः दुर्लभ होता है। देखना कि प्रचारक के जीवन-यापन के वैकल्पिक साधन हैं क्या ? उसकी जीवन शैली के अनुरूप, आय के साधन ?, या तो फ़िर उसकी रोजी-रोटी-दाल सब राजनीति से ही है। निर्भरता से हितबद्धता होती है, और फिर सब स्वार्थ। विश्वसनीयता समाप्त हुई। उसकी राजनीतिक योग्यता, पात्रता अर्जित है या वंशानुगत ? वैसे किसी राजनीतिक वंश में जन्म होना कोई पाप नहीं, मगर विरासत हटाकर कुछ बचे ही ना, तो पात्रता संदिग्ध।

आप कहेंगे निष्पाप, निष्कलंक लोग मिलते किधर हैं, तो सही है कि नहीं मिलते। नम्बर देती है जनता, और मतलब उसके भी हैं, जायज नाजायज दोनों, तो सौ में सौ तो, असम्भव ! स्वयं भगवान भी नहीं पाये। अगर वही लक्ष्य है तो असफल हुआ वह भी, जो बहुत करीब पहुंचा, और वो भी जो बहुत दूर रह गया और वह भी, जिसका ना प्रयास था, ना इरादा। असफल सभी हैं, मगर एक बराबर नहीं। अन्तर समझना और उसे चुनना, जो तुम्हारी अपनी नजर में, लक्ष्य के सबसे नजदीक पहुँचा हो, और वह लक्ष्य, मन्तव्य और संकल्प से जन-कल्याण कारी हो।

आपको हार्दिक शुभ कामनायें 👍, आपका दिन शुभ हो 🙏

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