05-09-2020
आज 5 सितम्बर, महामहिम राष्ट्रपति स्वर्गीय डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन, पूर्व शिक्षक, का जन्मदिन और तदनुसार घोषित शिक्षक दिवस। सभी शिक्षकों को सादर, साभार परम नमन 

शिक्षक, यानी वे महापुरुष, जिनकी शिक्षा से मैं आज जहाँ हूँ, पहुंच सका हूँ, मगर जिनके बावजूद ? और अगर वह भी शिक्षक ही रहे हों, तो उनका क्या ?
शिक्षक एक पद नहीं, एक संकल्प है,अपने ज्ञान,अपनी सकारात्मकता को, किसी उत्सुक को हस्तांतरण कर सकने की, इच्छायुक्त क्षमता का। पद वाछिंत हो सकता है, अनिवार्य नहीं और पर्याप्त भी नहीं । शिक्षक कोई भी हो सकता है, आप की पत्नी भी, प्रायः होती भी है !
शिक्षक की योग्यता क्या होनी चाहिए, कोई मापदण्ड नहीं । देने वाले के पास, कुछ ना कुछ देने लायक हो, और लेने वाले के पास इच्छा हो, यह सम्बन्ध रिवर्सिबिल भी हो सकता है। अन्तर जितना कम हो, हस्तांतरण उतना ही सहज और आन्नददायक । नहाने में जितना अच्छा, कम गहरी नदी में आता है, समन्दर में कहाँ ?
समन्दर से याद आया, विद्यादान में शिक्षक के पास ज्ञान का भंडार कितना है, अधिक महत्व उस ज्ञान के प्रति उत्सुकता जगाने, बनाये रखने और अन्ततः उसे हस्तांतरित कर पाने की योग्यता का होता है। विद्वान आवश्यक रूप से, अच्छे शिक्षक नहीं होते।
शिक्षक के लिये, ज्ञानार्थी के प्रति संवेदनशील होना कम महत्वपूर्ण नहीं है । विद्यार्थी की कठिनाइयों को शिक्षक सही सही अनुभव कर सके तो ही उपयुक्त। जो अपनी शिक्षा अटक अटक पाये हों, शिक्षक अक्सर कमाल के पाये जाते है।
शिक्षक कोई भी हो सकता है, पद और उपाधि के बिना भी, और इसकी आवश्यकता जीवन पर्यंत रहती है ! तो शिक्षक और उनके प्रति आदर भाव चिरंजीवी होता है।
शिक्षक की पदवी, किसी का अधिकार नहीं, उसी के छात्र द्वारा प्रदत्त पुरस्कार है, काश, सभी इतना समझ सकें 

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