कदर, इफ़रात की भी !


आपके पास कुछ ना हो, तो कदर कौन करेगा

मगर बेकदरी, इफ़रात से भी पैदा हुआ करती है। आप ही, अगर , बेहिसाब मिलें, और वो भी ख़ासकर, बिना एफर्ट, तो, लापरवाही होती ही जाती है, भले, जीना ही दूभर हो, आपके बिना, एक दिन भीऔर जब अहसास होता है, इन्सान, पछताता तो बहुत है, मगर उससे क्या ?


"तब पछताये होत का ? जब चिड़िया चुग गई ख़ेत !"


इसलिए फिकर, करनी है ग़र, तो वक्त रहते, फसल लहलहा रही हो, जभी तक, सूख ही जाये, इससे पहले


बाकी, मर्ज़ी तुम्हारी 😀


वैसे बात, पति-पत्नी की ही नहीं,

लोगों में तेजी से घट रही अच्छाई और सदाचरण की, धूप, और हवा, और पानी की भी कर रहा था 👐

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THE QUEUE....