Take-off !

कल ही आए हैं, बेटे बहू के पास। आस-पड़ोस में होली हो रही थी, और हम सफर पर थे, आसमान की। इस बार, टेक-ऑफ को देखा भी, समझा भी, और कर रहा हूँ, साझा भी !

रन वे पर, आते ही, जी-जान से दौड़ता है, जहाज, फुल थ्रौटल। प्रिरिक्विज़िट, भरपूर ईंधन, जरूरत-भर क्षमता भी, पक्का इरादा भी। इतना सब, जरूरी तो है, पर्याप्त नहीं। सबसे जरूरी, प्रतिरोध, जो कृत्रिम रूप से उत्पन्न किया जाता है, पंखों को यथोचित एंगिल देके। 

कृत्रिम, इसलिए कि नियन्त्रण, आपका ही रहे। ध्यान रहे, इस अनजान, अनदेखे टोटके के बिना, जहाज कभी उड़ेगा ही नहीं, उड़ सकता ही नहीं। तेज, कितना ही दौड़े, कितनी ही दूर, तलक । 

जीवन का भी ऐसा ही है, संसाधन कितने ही हों, ऊपर इंसान, विपरीत परिस्थितियों में ही, उठता है, मजबूत भी होता है। क्षमताओं की, दर-असल परीक्षा भी यही हुई। वास्तविक होगा तो उड़ेगा, निखर जायेगा, कागज़ का हुआ, तो बिखर जायेगा।

No comments:

THE QUEUE....