Content and Intent !

किंवदन्ती ऐसी है कि, भगवान राम, माँ सीता को वापस लाने जाते हुए, जब समन्दर को बाँध रहे थे, और समन्दर पर पुल बन रहा था, तो यथा-योग्य, यथा-सामर्थ्य, सभी जुटे पड़े थे। साक्षात भगवान्, स्वयं, प्रत्यक्ष, सब कुछ देख रहे थे, जब उनकी दृष्टि, एक नन्हीं सी, गिलहरी पर पड़ी।

वह गिलहरी, समन्दर की रेती में, थोड़ी-थोड़ी देर बाद, लोट लगाती, फिर निर्माणाधीन पुल पर जाती, खुद को झाड़-झूड़ कर, फिर उसी जगह आकर, लोटने लगती। यही क्रम, अनवरत, चला आ रहा था, सुबह से। 

कौतूहलवश, भगवान ने, उसे पास बुलाया, और इस उपक्रम का, हेतुक जानने की इच्छा कही। गिलहरी ने, दोनों हाथ जोड़, निवेदन किया, 

"हे प्रभु ! इस महती-धर्मयुद्ध में, योगदान करने की आकांक्षा, मेरी भी अत्यन्त प्रबल है, परन्तु क्षमता है उतनी ही सीमित। रेत में लोटती हूँ, तो बहुत सारी रेत, मेरे शरीर से चिपक जाती है। वही रेत, पुल पर जाकर, झाड़ आती हूँ।"

कहते हैं, प्रभु की आँखों से, अनायास ही, अश्रु-धारा बहने लगी। उसकी पीठ पर, हाथ फेरते हुए, उँगलियाँ के निशान, जो पड़े, अभी तक चले आ रहे हैं। भावना, इतनी प्रगाढ़ हो तो, स्वयं भगवान के लिए भी, उॠण हो पाना, आसान कोनी।

Content matters, Quantum matters, but Intent matters most !

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