टायर, तो घिस चुके हैं तेरे, भरोसा कोनी, कब फट जायें, इंजन में दम बचा नहीं, पुर्जा-पुर्जा भगवान के भरोसे, बाॅडी में सारा कुछ बजता है, सिवा हाॅर्न के। हैड लाइट तो, टिमटिमाती भर है, टंकी में डीजल कितना है, पता नी, और पैट्रोल पम्प, आस-पास कोई दिखता है नी ?
और, मजे की बात, जाने को मुकाम भी, अब खास, कुछ बचा नी !
तो ठण्ड पा यार, ये बेसब्री, ये फड़फड़ाना काए को, गड्डी चलने दे ना, रफ्ता रफ्ता !
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