Survey reported, pending disposal !

टायर, तो घिस चुके हैं तेरे, भरोसा कोनी, कब फट जायें, इंजन में दम बचा नहीं, पुर्जा-पुर्जा भगवान के भरोसे, बाॅडी में सारा कुछ बजता है, सिवा हाॅर्न के। हैड लाइट तो, टिमटिमाती भर है, टंकी में डीजल कितना है, पता नी, और पैट्रोल पम्प, आस-पास कोई दिखता है नी ?


और, मजे की बात, जाने को मुकाम भी, अब खास, कुछ बचा नी !

तो ठण्ड पा यार, ये बेसब्री, ये फड़फड़ाना काए को, गड्डी चलने दे ना, रफ्ता रफ्ता !

पुनश्च - और ऐसे में, गाड़ी से फालतू सामान उतार देना भी, समझदारी है, ईंधन कम खर्च होता है, तो सफर, और भी मस्त हो जाता है। सामान बोलें तो, अपेक्षायें, ख़्वाहिशें, शिकवे-शिकायतें, भविष्य के भय, और अतीत के पश्चाताप।

वो सम्पर्क भी, जो सामान हो गये हैं, वजनी और निर्जीव !

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THE QUEUE....