खर्राटे !

कुम्भ नहाने आये हुए हैं, कोई छः सात लोग, दो कमरे, कनेक्टिड, रात का वक्त, सब सोए हुए हैं, मुझे छोड़। खर्राटों के शोर से, सोना सम्भव ही नहीं।
सुबह हुई है, सब जाग चुके हैं, इससे पहले कि, अपनी तकलीफ़, मैं साझा करूँ, हर कोई शिकायत करने लग पड़ा है। किसी को नींद आई ही नहीं, तो किसी की टूट गई, खर्राटे, इतना शोर जो कर रहे थे।
मैं, खुद, हैरान-परेशान हूँ, दुखड़ा रोऊँ भी, तो आखिर किससे ? और क्या ? अब तो यकीन भी होने लगा है कि, नींद नहीं आई, तो क्या ? खर्राटे तो, मैं ही ले रहा हूँगा, यकीनन। 
सॉरी बोल ही देना चाहिए, क्या ? 😂

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THE QUEUE....