दूसरे से, दुविधा आती है,
और दुविधा से, दु:ख !
जरा सोचिये, जीवन से विकल्प हटा लिए जायें,
तो दुविधा, तत्क्षण समाप्त,
सुविधा, और सुख का, द्वार खुल जाता है।
देखा है, भले किसी को, कैंसर ही, क्यों ना हुआ हो,
छटपटाना, केवल तभी तक,
जब तक, उपचार का विकल्प रहता है,
उसके बाद तो,
मृत्यु में भी, मोक्ष दिखाई देने लगता है।
सब दुविधा, विकल्प की !
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