वैवाहिक संदर्भ में, जन्म-पत्रियाँ मिलाई जाती हैं, आप ने भी सुना ही होगा, मगर ध्यान, शायद ना दिया हो कि मिलाई जाती हैं, तौली नहीं जातीं, यानी तुलना नहीं होती, समानता नहीं देखी जाती, हो भी नहीं सकती क्यों कि दोनों अलग-अलग होते हैं, शारीरिक, वैचारिक मानसिक, हर तरह से ।
मिलान से तात्पर्य फिर, मैचिंग, कम्पैटिबिलिटी, जैसे चूड़ियाँ मिलाई जाती हैं, नट और बोल्ट की। ठीक-ठाक मिलें तो स्मूथ लाइफ़, और लाइफ लॉन्ग 😂, बराबरी रही होती तो सर्वाधिक समानता, नट से नट की, बोल्ट से बोल्ट की होती, शादी हुई तो, हो गया बण्टाढार !
एक बात और, स्वभाव और नजरिये में अन्तर से, सन्तान के व्यक्तित्व को, विस्तार मिलता है, जैसे, बैटरी का वोल्टेज अन्तर, जितना अधिक होगा, विद्युत प्रवाह, उतना ही शक्तिशाली होगा।
कैच ये, कि पॉजीटिव को, अधिकाधिक पॉजीटिव रहने दिया जाय, ऐसे ही निगेटिव को अधिकाधिक निगेटिव, नैसर्गिक स्वभाव के अनुकूल। यदि वर्चस्व के फेर में, पॉजीटिव को निगेटिव, या निगेटिव को पॉजीटिव बना डाला, तो वोल्टेज में अन्तर, रहा कहाँ ? सब गुड़ गोबर, विद्युत प्रवाह, सिरे से असम्भव, अब चाहें तो तारों पर कपड़े ही सुखायें, पूर्णतः निरापद। मगर, ये गौरव की, मंगल की बात, क़तई नहीं।
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