जिन्दगी, ये जिन्दगी !

 

जिन्दगी, हमेशा खूबसूरत ही होती है, और क्यों ना हो, खुद 'उसने' अपने हाथों जो बनाई है।

किसी किसी की साँवली भी होती है, माॅडर्न नहीं होती, या तो मँहगे-मँहगे परिधान, प्रसाधन, अफोर्ड नहीं कर पाती, मगर खूबसूरत तो, फिर भी हो सकती है, सूरत से, सीरत से। मन की ऑंखें तो, अन्दर तक देखती हैं।

कभी-कभार मुरझाई सी, कुम्हलाई सी हो जाती है, अलबत्ता। थोड़ी-बहुत जमीन उलट-पलट करें, थोड़ा पानी, थोड़ी सी धूप और थोड़ी-बहुत हवा, और जरा-मरा सा वक्त, देखना, फिर से खिलखिलाने लग पड़ेगी। तो थकना मत, रुकना मत, हिम्मत मत हारना, धीरज मत खो देना।

ये जिन्दगी है, दोस्त ! किस्मत से मिलती है, और फिर कब मिले, कौन जाने, मिले भी या नहीं ? 😀

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