और ऐसा प्रायः होता है...
कि आपको लगता है कि कोई आपको नहीं चाहता, प्यार नहीं करता, किसी को कोई मतलब नहीं है, पत्नी, माँ-बाप, बच्चे, यार-दोस्त, और फिर एकाएक, आपका, खुद का ही मन, खुद
का ही ध्यान रखने का नहीं होता। क्या ही रखा है, जब किसी को भी, मेरी
जरूरत, है ही नहीं ?
और आपको ? आपको, आप की जरूरत है कि नहीं ??
ध्यान रहे, अगर
आपका मूल्यांकन, कोई
दूसरा ठीक से नहीं कर रहा है तो समस्या, आपकी ही होना, कोई
जरूरी नहीं, केवल
उसकी ही भी, बिल्कुल
हो सकती है। समझा ना हो, नजरिया
अलग हो, जरूरतें अलग हों, किसी इतर कारण से मूड ऑफ हो, गलतफ़हमी हो, कुछ भी हो सकता है, मगर आप ? खुद को धोखा, कैसे दे पायेंगे ??
ये जो गाड़ी है ना,
ज़िन्दगी की, खींच
के ले ही जाना है, ऊपर, चोटी तक। रास्ते में कभी कोई मिलेगा, जो आपके जोर में, अपना जोर मिलायेगा, हौसला बढ़ायेगा, प्रोत्साहित करेगा, तो कभी कोई किनारे खड़ा, केवल वीडियो बनाता मिलेगा, इसका, लेना-देना आपसे कुछ है ही नहीं, और कोई कोई होगा, जिसका
काम ही, केवल रुकावटें
डालना ही होता है, हर जवाब के लिये, सवाल इनके पास हमेशा तैयार रहते हैं, निगेटिव लोग । ये साक्षात चुनौतियाँ
हुईं, आपके सफर की।
चाहे जो भी हो, रुकना
तो हरगिज़ नहीं बनता, आपका
। थोड़ा-बहुत सुस्ता लें, संयत
हो लें, और फिर से चल
पड़ें, मंजिल की ओर !👍
और यहाँ, आये
काहे को ? 😀
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