आपके काम-काज की समीक्षा करने की पात्रता, और अधिकार, सही मायनों में, होता उसी के पास है, जिसे आपसे अधिक आता हो। उसका ईमानदार, और विनम्र होना भी अपेक्षित, और उसकी प्रशंसा, ऐंवे ही मिलती नहीं, मगर।
ऐसे समीक्षकों की आलोचना भी, अज्ञानियों की प्रशंसा से अधिक मूल्यवान होती है। मगर दिल है कि मानता नहीं, तो कुछ निकम्मे लोग, अपने आस-पास, चाटुकार लोग पाल लेते हैं, जिनका ध्येय ही होता है, झूठी सच्ची तारीफ़ कर, आपको प्रसन्न रखना, और अनुतोष प्राप्त करते रहना। 'विन-विन' सिनारियो, वो भी खुश, आप भी खुश !
ध्यान रहे, सही-गलत समझे बगैर, जो लोग सिर्फ, और सिर्फ, आपकी वाह वाह ही करते हैं, आपकी टोटल बर्बादी का कारण भी हुआ करते हैं। समझ में आती ही है, यह बात, एक ना एक दिन,
अक्सर समय निकल जाने के बाद !
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