RESET !
अगरचे, समेट-बटोर के, खुद को, वापस खड़े हो सको, तो बुराई कोई टूट कर, बिखर ही जाने में, कोनी।
जैसे, कम्प्यूटर, रिसैट कर दिया हो। फालतू प्रोग्राम सब जाते रहे, जो बचे, समय अद्यनित हो गये, प्रासंगिक हो गये, तो बेहतर तालमेल से चलेंगे।
यकीन मानिये, जल्दी बूट होंगे, स्मूथ चलेंगे और गरम भी नहीं होंगे, बे-मतलब, खाम-खाँ !
जीवन में, कभी-कभार, यही इष्टतम विकल्प, बचता ही है, यूँ लाइफ तो, हर कम्प्यूटर की हुआ करती है, कोई कम, कोई थोड़ी-बहुत ज्यादा, अमर कोई नहीं।
ना कम्प्यूटर, ना इन्सान ! 😂
Happy Retirement, Harnath !
नौकरी, जैसे हवाई जहाज़ का सफर। टेक ऑफ कभी भी किया हो, कहीं से भी किया हो, दूरी कितनी ही रही हो, ऊँचाई कोई भी पकड़ ली हो, मौसम ख्रराब भी हुआ ही होगा कभी-कभार तो, डरावना टर्बुलेन्स, सीट बैल्ट, अब लगाओ, अब खोल सकते हो, सार किसी का, अब कोई भी नी।
सार है तो इतना कि लैण्ड, हर फ्लाइट होती है, एक ना एक दिन, देर-सबेर बात अलग । खुशकिस्मत हैं कि लैण्डिंग सेफ हुई है, हैप्पी हुई है। इतने सारे लोग रिसीव करने आये हैं, सी ऑफ करने भी। अब वक्त, घर लौटने का है, अपनी मर्जी की ज़िन्दगी जीने का है। सफर का कचरा, साथ ले जाने का नी। शुक्रिया उसका, जिसने सहूलियतें दी, सफर खुशनुमा और आसान बनाया, उसका भी जो मुश्किलों का सबब बना, और आपको सबक दे गया, मजबूत और समझदार बना गया।
सफर के गिले-शिकवे-शिकायत होंगे तो, मगर सब कचरा है, साथ ले भी जाना, काए को ? अच्छी यादें, कीमती अनुभव, जगह-जगह खरीदा हुआ, पसन्दीदा सामान, सुनहरे सपने, यही सब साथ ले जाने लायक है। घर सजाइये, संवारिये, और आराम से रहने लायक बनाइये, बनाये रहिये, और भूलिए मत, कि उस घर में, आप ख़ुद भी आते हैं
तो ढेर बधाइयाँ, सारी शुभकामनायें, आशीर्वाद !
और हार्दिक स्वागत, "ठलुआ क्लब" में ! 😀👍
कल से, नई सुबह, नया दिन, नया संवत्सर, नया जीवन, मतलब नई जीवन शैली !
समस्याएं, और समाधान !
Compete ! Sure... but, how ?
किसी को छोटा कर, खुद को बड़ा, दिखाने की कोशिश, अन्ततः आत्मघाती और दुर्भाग्यपूर्ण ही निकलती है। इसलिए कि, विपक्षी भी तो, खुद को बड़ा बनाए रखने के लिए, आपको छोड़ेगा कोनी, छाँट के ही दम लेगा, ना ? इस अन्तहीन मूर्खता की, स्वाभाविक परिणति, दोनों ही ध्वस्त !
उलट इसके, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो, एक दूसरे से आगे निकलने की, सकारात्मक कोशिश, जिसे आपके दोनों पैर, दोनों ही, आगे जायेंगे, नई नई ऊँचाइयाँ प्राप्त करेंगे, इतनीं कि, आगे पीछे की बात ही, बेमानी हो जाये। ये परम सौभाग्य की, बात है।
आप, कौन तरकीब से, चल रहे हैं ?
I water you, you water me...
Let's grow together.
I clip you, you clip me back...
Let's finish together.
Choose wisely, choose pronto.
It's MUCH DELAYED, already !
तमसो मा ज्योतिर्मय !
घास, हरी, दूर की, या पास की ?
ना दूर की, ना पास की, वहाँ की, जहाँ आपने, सँभाल के रखा हो, देख-भाल की हो, हवा-धूप-पानी की, फिक्र करी हो।
प्रायः यही, नहीं ना करते, लोग !
उन्हें नजदीक की, इधर की सूखी, और उधर की, दूर की, हरी, नज़र आती है, तो दौड़ के, उधर, चले जाते हैं। वहाँ पहुँचते हैं, तो वहाँ की सूखी, और इधर की ही हरी, दिखने लगती है, तो फिर दौड़ पड़ते हैं, इधर की ओर। दौड़ते-दौड़ते, हाँफने लगते हैं, घास हरी, कहीं भी मिलती ही नहीं। होती ही नहीं, कि भाग-दौड़ ही करते रह गये, पानी तो, कहीं दिया ही नहीं, घास सब जगह, सूखती ही चली गई।
क्या ही अच्छा होता, रुक ही जाते, कहीं भी, और पानी देते, ख्याल रखते, घास, वहीं की हरी, हो गई होती, भले देर सबेर होती। 😀
आना-जाना जरूरी ही होता, अगर, तो फव्वारा साथ रखते, जहाँ भी रहते, हरियाली, साथ-साथ चलती 🤗
प्रारब्ध और पुरुषार्थ, यानी भरोसे, भगवान के !
गोस्वामी तुलसीदास की यह प्रसिद्ध चौपाई, पुरुषार्थ का महत्व कम करती हुई, प्रतीत होती है। यदि सारा कुछ ही, पूर्व नियत है, तो प्रयासों की आवश्यकता ही क्या है ? अनुतोष, अगर प्राविधानित हैं तो मिलकर ही रहेंगे, अन्यथा प्रयास कितने भी किए जाएं, प्राप्ति तो होनी नहीं।
क्या सचमुच ? कि आप बीज भी ना डालें खेत में, और फसल लहलहाने लगे ?? आशय, यह अधिक उपयुक्त लगता है कि बहुत बार, अच्छा बीज हो, समय से रोपने और धूप, हवा, पानी की समुचित व्यवस्था के बाद भी, ऐसे कारणों से, जो अप्रत्याशित होते हैं, नियन्त्रण से परे होते हैं, उपलब्धिथाँ, अपेक्षाओं, और आशाओं से पीछे रह जाती हैं। ऐसे विपरीत कारकों का ही, संयुक्त नाम, दुर्भाग्य है।
यह भी कि, अनेक बार, यह संयोग, सकारात्मक भी हुआ करते हैं। आपने योजनाएं ही, ना भी बनाई हो, आपको हवा भी ना हो, घटनायें, एक के बाद, एक, ऐसी होती चली जाती हैं जो परिणामों को आशातीत सफल, बना डालती हैं। नियन्त्रण, इन पर भी आपका, कोई नहीं, आपने आहूत भी नहीं की होतीं, इन्हीं को, समेकित रूप से, सौभाग्य कहा जा सकता है।
इस प्रकार, बीजारोपण, यानी उद्यम, अनिवार्य हुआ, और पालन-पोषण के इष्टतम प्रयास भी, मगर नमन, उन कारकों को भी, जो ना आपके संज्ञान में हैं, ना नियन्त्रण में। इन्हें विधि का विधान भी कह सकते हैं। आप परीक्षा दें, सर्वश्रेष्ठ दें अपना, परन्तु मूल्यांकन का अधिकार, उपाधि और सिद्धि का अधिकार, आपसे परे, उसके पास, जिसका ज्ञान, और सामर्थ्य, और क्षमता, आपके पास नहीं।
परीक्षा में, प्रतिपर्ण से, प्रतिभाग ही मूल्यवान, परिणाम की चिन्ता, आपको नहीं करनी चाहिए, इसलिए कि, जो आपके हाथ में नहीं, उसे दिमाग में लिए-लिए घूमने का भी, कोई सार नहीं। गोस्वामी जी की चौपाई का इतना ही, और यही आशय है। इसी बात को, भगवान श्रीकृष्ण ने, गीता में, इस तरह, अभिव्यक्त किया है:
"कर्मण्ये वाधिकारस्ते, मा फलेषु कदाचन:... "
एक और पक्ष भी, विचारने योग्य है, यह कि ग़र हाथ दिखाने जायें, किसी ज्योतिषी के पास, तो दायाँ हाथ ही देखता है ना ?, या तो बायाँ, अगर आप वाम हस्तीय हैं, अर्थात सक्रिय हाथ। आखिर क्यों, लकीरें तो दोनों ही हथेलियों में होती हैं ?
मान्यता है कि जन्म के समय, हाथों की लकीरें, एक समान होती हैं। सक्रिय हाथ की लकीरें, समय के साथ, बदलती जाती हैं, पुरुषार्थ भी अपना प्रभाव डालते हुए, लकीरों को ही बदलते हुए चलता है, और यही प्रमुख, यही सार्थक, यही प्रासंगिक।
"क्यूँ हथेली की, लकीरों से हैं आगे, उंगलियाँ, रब ने भी, क़िस्मत से आगे, आपकी मेहनत रखी"
और, अन्ततः
"तकदीर के खेल से, निराश नहीं होते,
जिंदगी में ऐसे, कभी उदास नहीं होते,
हाथों की लकीरों पर, अन्धा भरोसा कैसा,
तकदीर तो, उनकी भी हुआ करती है,
जिनके हाथ ही नहीं होते।"
सफर, और ड्राइवर !
मैदान-ए-जंग !
Bye, My friends, So Long !
माँ-बाप कहीं नहीं जाते, प्रेमी-प्रेमिका भी कहीं नहीं जाते, दोस्त भी कहीं नहीं जाते, हर वो व्यक्तित्व, जो घनिष्ठ है आपका, कहीं नहीं जाता, तो दोस्त से घनिष्ठ, और कौन ? और ऐसे लोग, आस-पास ना होते हुए भी, आस-पास ही होने की अनुभूति, प्रायः दिया करते हैं, इसमें अनहोनी कैसी ?
मुझे भी, खुद, आप लोगों के साथ ही होने की अनुभूति हुई, तो गलत क्या ? और मै कल्पना को, मूर्त रूप दे सकता था, सो दे डाला। कोई चार-पाँच फेक थे, समय, कुल एक दो घण्टे, इतनी बड़ी साज़िश थी नहीं, जितनी कुछ लोगों को लगी कि, झूठ-मूठ हाजिरी लगवा लेंगे। क्या सचमुच ?
अभिनेता प्राण का, ये बहु-प्रचलित संस्मरण है कि एक आयोजन में, एक बुजुर्ग महिला ने उन्हें, सरे-आम, खूब बुरा भला ही नहीं कहा, कई थप्पड़ लगा डाले, इसलिए कि किसी फिल्म में, उनके खलनायक की भूमिका से, वो बेहद नाराज चली आ रही थीं । प्राण ने उनके पैर छुए, और ये वक्तव्य उनका, बहुत समय तक, चर्चा में रहा कि, उनके प्रति, उस महिला का यह व्यवहार, यथार्थ में, उनकी अभिनय क्षमताओं की सर्वाधिक मूल्यवान, और महत्वपूर्ण, पहचान और पुरस्कार था।
मेरा भी कुछ-कुछ ऐसा ही है। 'आया नहीं से-आ नहीं सका' के विवाद से इतर, मेरी विशुद्ध सृजनात्मक कोशिशों से, आहत वही हुए, जिन्होंने इसे सचमुच का मान लिया, और फिर यथार्थ, उनसे सहन नहीं हुआ। मेरी स्पष्ट मान्यता है कि नाराज, अपने ही होते है, गैरों का, और गैरों से, तो लेना देना भी क्या ? नाराजगी, नजदीकियों का ही, सुबूत हुआ करती हैं।
तो भावनाएं, जिस जिस की भीआहत हुई, गले लग कर क्षमा माँग लेंगे, फेक की नहीं, ना आ पाने की। अगली बार थोड़ी और कोशिश कर के देखेंगे, होगा क्या, कौन जाने, हाथ में है ही, किसके ? खुशी खुशी वापस हों लें, नहीं तो फिर से मिलने, आयेंगे कैसे ! ध्यान रखी, अपना, और अपनों का, और मेरा भी !
🙏👋
Absent ? By no means, Sir !
Survey reported, pending disposal !
टायर, तो घिस चुके हैं तेरे, भरोसा कोनी, कब फट जायें, इंजन में दम बचा नहीं, पुर्जा-पुर्जा भगवान के भरोसे, बाॅडी में सारा कुछ बजता है, सिवा हाॅर्न के। हैड लाइट तो, टिमटिमाती भर है, टंकी में डीजल कितना है, पता नी, और पैट्रोल पम्प, आस-पास कोई दिखता है नी ?
फैलाना, और समेटना, रायते का !
जबरदस्ती तो, कुछ भी करो !
मगर, कोई आपसे भी जबर, अपना रायता फैलाए, और छोड़ जाये, समेटने को, आपके लिए।
तो शिकायत कैसी ?
सोच तो, आपकी वाली ही हुई, ना 😂
So sorry, my dear Thomso's 1980 !
जो, एक बार आया यहाँ, यहीं का होकर रह गया। स्नेह, और अपनेपन, और कृतज्ञता का, ये बन्धन, इस जनम तो, छूटने से रहा। अच्छे से पता है कि, यह सुअवसर, अब जीवन-भर, शायद ही आ सके, कहाँ से नहीं आ रहे होंगे, मिलेंगे, एक जमाने के बाद, फिर भी ना आ पाना ? परिस्थितियाँ निश्चित ही, असाधारण ही रही होंगी, आप ही नहीं समझेंगे तो फिर, कोई भी नहीं समझ पायेगा।
अस्तु, क्षमायाचना, एक बार फिर से। ना सही सशरीर, मन से, हम आपके आस-पास ही विचरते मिलेंगे। तलाश करेंगे, तो दिख भी जायेंगे, नि:सन्देह ! दिल में जरूर चैक करियेगा, वहाँ नहीं मिले, तो फिर कहीं नहीं मिलने वाले। आ सके होते, तो भी नहीं मिलते।
सबको ढेर सारा प्यार, भगवान करे, आयोजन सफल हो, खूब धमाल हो, पुरानी सब यादें, एक बार फिर से, जिन्दा हो उठें। शुभकामनाएं 👍
ऐश करो, यारो 👍 तस्वीरें लेना, और शेयर करना, भूलना मत ☝️
"कुछ तो मजबूरियाँ, रही होंगी, यूँ कोई, बेवफा नहीं होता !"
THE QUEUE....
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तू बच के , भागेगा भी , कहाँ , नामाकूल ! ये तमाशबीन , ये पुलिस , ये कानून , सब, उसी के तो हैं , तेरे हिस्से , जेल , जलालत , पंखे ...