हाथ,
थामना जरूरी है,
फरक नही पड़ता,
कि आगे तुम चलो,
या मैं...
साथ,
होना जरूरी है,
फरक नहीं पड़ता,
कि सम्हालो, तुम मुझे,
या मैं तुम्हे..
चलो,
बदल दें, वो कहानी,
जिसमें मजबूत हाथ ही,
पोंछते रहे आँसू,
कोमल आँखों से,
अभी तक...
दर्द,
बँटना चाहिए,
फरक नहीं पड़ता,
गले तुम मुझे लगाओ,
या मैं तुम्हें..
: साभार
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