ये रास्ते हैं, प्यार के !


प्रेमातुरता, और इसकी अनुभूति के सुख, स्वर्गिक कहे जा सकते हैं, और अनेकानेक मनोवैज्ञानिक व्याधियों के समूल उपचार में, सर्वथा सक्षम।

इसके उपाय, अनोखे और अपरिवर्तनीय होते हैं, मगर। निश्छल अहेतुक परस्पर समर्पण। चतुराइयाँ, धरी की धरी रह जाती हैं, पद-प्रतिष्ठा-प्रभाव बल, धन-बल, बाहु-बल, विधि-बल, सब सिरे से नि:सार, निरर्थक । प्रेमाभाव का रोग, गम्भीर होता ही जाता है, जैसे जैसे, इलाज के, ये उपाय, और सघन होते जाते हैं। 

गोया, अंधेरे से, अंधेरे को, हटाने की जुगत हो रही हो। यह काम तो, रोशनी का है, वही, और केवल वही, कर ही सकती है। 

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THE QUEUE....